मनुष्य धर्मात्मा दिखना तो चाहता लेकिन बनना नहीं

जलालाबाद, कन्नौज। मनुष्य को ज्यादा से ज्यादा संसार की दृष्टि में नहीं बल्कि भगवान की दृष्टि में रहना चहिये इससे मनुष्य का कल्याण होगा। हर मनुष्य को एकादशी का व्रत करना चाहिए क्योकि एकादशी का व्रत जगतपिता ठाकुर जी को बहुत प्रिय होता है। ये विचार याज्ञवल्क्य आश्रम जलेशर पर श्री राम कथा के छठवें दिन आचार्य घनश्याम पांडे ने प्रकट किये हर मनुष्य को यह पता होना चाहिए कि माँ-बाप भी भगवान से कम नहीं होते हैं। जो अतिथि हमारे घर से खाली हाथ जाता है वह अपने साथ मनुष्य के घर के सारे पुण्य ले जाता है हमेशा अपने अतिथि की सेवा पुरे निष्ठा से करनी चाहिए। आज के युग में धर्मात्मा दिखना तो सब जाते है लेकिन कोई भी मनुष्य धर्मात्मा बनना नहीं चाहता। आज मनुष्य धर्म का सम्मान करेंगे तो आने वाली पीढ़ी धर्म के युक्त होकर हमारा सम्मान करेगी। प्रतेक मनुष्य को एक बात अवश्य समझ लेनी चाहिए कि भगवान मनुष्य के अंतःकरण की बात जान लेते हैं। भगवान कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। भगवान कृष्ण कहते है कि जो लोग इर्षा करते है वह मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है और जिसका मन निर्मल है वह व्यक्ति मुझे पसंद है।
मनुष्य को अपने आराध्य पर मजबूत निष्ठा रखनी चाहिए क्योकि अगर तुम्हे तुम्हारा आराध्य तुम कुछ नहीं दे सकता तो इस संसार में मनुष्य को कोई कुछ नहीं दे सकता है। मनुष्य हमेशा भगवान से कुछ ना कुछ मांगता है इसलिए भगवान कभी भी मनुष्य को नहीं मिलते मनुष्य को तो गोपियों की तरह होना चाहिए जिसने कभी भी कृष्ण भगवान से कुछ नहीं माँगा इसलिए उन्हें भगवान मिल गए। वो ही चीज पवित्र होती है जिसे भगवान अपने हातों से छू लेते हैं। भगवान मनुष्य को बहुत कुछ देते हैं और बदले में कभी भी मनुष्य से कुछ नहीं मांगते हैl

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