ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर साइबर ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश
• पुलिस ने 10 शातिर अभियुक्तों को पकड़ा
• कब्जे से दो कार, 13 मोबाइल फोन, 18 क्रेडिट व डेबिट कार्ड सहित नगदी बरामद की

कन्नौज। ऑनलाइन गेमिंग के जरिये आम जनता से करोड़ों रुपये की साइबर ठगी करने वाले एक अंतरजनपदीय गिरोह का खुलासा किया है। पुलिस ने इस गिरोह के 10 शातिर सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 13 मोबाइल फोन, 18 क्रेडिट व डेबिट कार्ड, 2 कारें, और ₹1,76,000 नगद समेत ठगी में प्रयुक्त अन्य सामग्री बरामद की। सदर थाना कोतवाली के थाना प्रभारी जितेन्द्र प्रताप सिंह, प्रभारी निरीक्षक जितेन्द्र प्रताप सिंह, उप निरीक्षक आलोक कुमार सिंह, उप निरीक्षक राजेश प्रताप सिंह सहित पुलिस टीम ने गिरोह को जीटी रोड तिखवा कट से पकड़ा गया जब वह दो कारों में सवार होकर कहीं जाने की फिराक में थे। जिसमें मोहित चोपड़ा (28) पुत्र सुरेन्द्र चोपड़ा निवासी H-140 विकासपुरी थाना विकासपुरी न्यू दिल्ली, अजीत कुमार (32) पुत्र रामबहाल निवासी बघुआ थाना बखिरा सन्त कबीर नगर, सतीश कुमार मौर्य (26) पुत्र जमुना प्रसाद मौर्य निवासी रामपुर गोसार्क थाना जगदीश अमेठी, आशुतोष कुमार (31) पुत्र बोधराम निवासी श्याम विहार कालोनी फजुल्लागंज थाना मडियाव लखनऊ, अमित गुप्ता (26) पुत्र स्व0 मनोज कुमार गुप्ता निवासी कस्वा व थाना फूलपुर आजमगढ़, संदीप गुप्ता (31) पुत्र राम ब्रज गुप्ता निवासी E-48/5 महावीर विहार कंजावला थाना कंजावला नई दिल्ली, यश श्रीवास्तव (24) पुत्र प्रेम कुमार निवासी F-1284 राजाजी पुरम थाना तालकटोरा लखनऊ, आयुष पाल (18) पुत्र साजन लाल निवासी मकान नं0 526 फत्तेपुर अलीगंज थाना अलीगंज लखनऊ, मो0 साहिल (18) पुत्र युसुफ खां निवासी रामलीला मैदान नौबस्ता पुलिया मडियाव थाना मडियाव लखनऊ, अंकित सिंह (22) पुत्र स्व0 कमलेश बहादुर सिंह निवासी डोमीपुर थाना जिठवारा जनपद प्रतापगढ को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार अभियुक्तों के विरुद्ध थाना कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया। आरोपियों को न्यायालय में प्रस्तुत कर अग्रिम कार्रवाई की गयी। कुछ अभियुक्तों का पूर्व में भी आपराधिक इतिहास रहा है। आशुतोष कुमार व अंकित सिंह पर पूर्व में कई संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं।
*गिरोह चार स्तरों में करता था काम*
कन्नौज। पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि हमारे गिरोह का कुल 4 स्तर पर विभाजन हैं। जिसमें मीडिया (पहला स्तर) – ये लोग जनता में ऐसे व्यक्ति तलाशते थे जिनके पास कॉर्पोरेट बैंक अकाउंट होते थे। होल्डर (दूसरा स्तर) – ये व्यक्ति खाताधारक को मना लेते थे कि वह अपना खाता गिरोह को दे, जिससे उसमें पैसा मंगाया जा सके। खाताधारक को कुल राशि का 20-25% कमीशन देने का वादा किया जाता था। किट होल्डर (तीसरा स्तर) – ये गिरोह को खाते से संबंधित सभी दस्तावेज जैसे पासबुक, एटीएम, आधार, पैन, चेकबुक आदि उपलब्ध कराते थे। पैनल (चौथा स्तर) – ये मुख्य लोग थे जो फर्जी APK फाइलों के जरिये खातों को अपने कंट्रोल में ले लेते थे और उन्हें फर्जी गेमिंग ऐप से जोड़कर आम जनता से पैसा ठगते थे। बताया कि एक बार खाता उनके नियंत्रण में आ जाता, तो उसमें आम जनता द्वारा गेमिंग के जरिये जमा किया गया पैसा सीधे आ जाता था। गिरोह प्रतिदिन 5 से 10 करोड़ रुपये तक की ठगी करता था।