महाकुंभ संगम नगरी

महाकुंभ का शुचि महापर्व आया । ।
भक्ति सागर में खुद आज संगम नहाया ।
श्रद्धालु जन की गजब भीड़ लाया ।
भक्ति सागर में खुद आज संगम समाया ।
महाकुंभ की रीति है ये तो युग युग पुरानी ।
जिसका साक्षी स्वयं गङ्गा यमुना का पानी ।
ये धरणि व्योम भी भक्ति रँग में नहाया ।
साधु संतों ने भी कितने करतब दिखाया ।
महाकुंभ का शुचि महापर्व आया ।
भक्तिसागर में ख़ुद आज संगम समाया।
महकने लगे राजपथ सज सुहाने ।
विहग गा उठे मंजु मंजुल तराने ।
लोग आये सभी भक्ति दीपक जलाने ।
संगम की धारा में डुबकी लगाने ।
कितनी अलौकिक प्रभू तेरी माया ।
हर हर महादेव उदघोष छाया ।
महाकुंभ का शुचि महापर्व आया ।
भक्ति सागर में ख़ुद आज संगम नहाया ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला